रांची। रांची के हरमू स्थित झारखंड मैथिली मंच के विद्यापति दलान पर सोमवार को मैथिली के वरिष्ठ रचनाकार केदार कानन की नई संस्मरण पुस्तक ओ दिन ओ राति का लोकार्पण किया गया।
मौके पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ महेंद्र ने कहा कि कवि-कथाकार केदार कानन ने संपादन के क्षेत्र में अपनी दूरदृष्टि का तो परिचय दिया ही है, संस्मरण विधा को भी अपनी रचनात्नमकता से नई ऊंचाई प्रदान की है, जिसे मैथिली साहित्य के इतिहास में शिलालेख की तरह लिखा जाएगा।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं रांची दूरदर्शन के पूर्व निदेशक डॉ प्रमोद कुमार झा ने कहा कि आम तौर पर संस्मरणकार दिवंगत रचनाकारों और अपने से वरिष्ठ रचनाकारों के बारे में ही संस्मरण लिखते हैं, लेकिन केदार कानन के यहां इस तरह की रूढ़ धारणा नहीं है। उन्होंने दिवंगत एवं वरिष्ठ रचनाकारों के साथ-साथ जीवित एवं अपने कनिष्ठ रचनाकारों पर भी संस्मरण लिखा है, जो उनकी रचनात्मक उदारता का परिचायक है।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार और अध्यापक डॉ नरेंद्र ने कहा कि अमूमन संस्मरण विधा की पुस्तकें हाशिये पर रख दी जाती हैंं, लेकिन हाल के वर्षों में संस्मरण विधा ने अन्य साहित्य की तरह मैथिली साहित्य में केंद्रीय स्थान ग्रहण किया है, तो इसका श्रेय केदार कानन जैसे उत्कृष्ट संस्मरणकारों के लेखन को जाता है। इस तरह की विलक्षण पुस्तक के लिए मैं केदार कानन को बहुत बहुत बधाई देता हूं और उनके सतत रचनाशील सक्रिय जीवन की कामना करता हूं।
मौके पर राजकुमार मिश्र, कथाकार अमरनाथ झा सहित अन्य ने भी अपने-अपने विचार रखें।
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